भारत की नदियाँ Full Notes in Hindi |
भारत की नदियाँ (Indian Rivers): भारत में सैकड़ों की संख्या में नदियों हैं, भारत की नदिया अपना जल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में गिराती है। भारत की नदियों अपनी कुल प्रवाहित जल का 77% बंगाल की खाड़ी में गिराती है तथा 2396 अरब सागर में गिराती है।
बंगाल की खाड़ी में जल गिराने वाली नदियाँ : गंगा, ब्रह्मपुत्र स्वर्णरेखा महानदी, गोदावरी कृष्णा कावरी इत्यादि। अरब सागर में जल गिराने वाली नदियाँ साबरमती नर्मदा ताप्ती नदी इत्यादि।
उद्गम स्थल : नदियाँ जहाँ से निकलती है उसे उद्गम स्थल कहा जाता है। जैसे-गोदावरी का उद्गम स्थल महाराष्ट्र के नासिक का त्रयम्बक पहाड़ी है।
संगम या मुहाना : नदियाँ जहाँ समुद्र या सागर में मिलती हैं इसे संगम वा सुहाना कहते हैं। जैसे- गोदावरी का संगम या मुहाना बंगाल की खाड़ी है।
अपवाह क्षेत्र या परवाह क्षेत्र : उद्गम स्थल से लेकर संगम या मुहाना तक के क्षेत्र को अपवाह क्षेत्र या परवाह क्षेत्र कहते हैं। माही नदी भारत में बहने वाली वह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है। 3
कांगो नदी या जायरे नदी :अफ्रीका महादेश में बहने वाली यह नदी विषुवत रेखा का दो बार काटती है।
नील नदी : यह विश्व की सबसे लंबी नदी है। यह नदी अफ्रीका महादेश के सबसे बड़े झील विक्टोरिया झील से निकलती है। विक्टोरिया झील से होकर विषुवत रेखा गुजरती है। नील नदी विक्टोरिया झील से निकलने के बाद उत्तर की ओर बहती हुई कर्क रेखा को पार करते हुए अपना जल भूमध्य सागर में गिरती है। हम यह कह सकते हैं कि नील नदी का संबंध विषुवत रेखा और कर्क रेखा दोनों से है।
लिम्पोपो नदी: अफ्रीका महादेश में बहने वाली यह नदी मकर रेखा को दो बार काटती है।
बारमेजो नदी : दक्षिण अमेरिका महादेश में बहने वाली यह नदी मकर रेखा का तीन बार काटती है।
Note : एकमात्र महादेश अफ्रीका महादेश है जिससे होकर फर्क रेखा, विषबुत रेखा और मकर रेखा तों गुजरती है।
कर्क रेखा तीन महादेश से होकर गुजरती है- जिससे होकर कक
- उत्तरी अमेरिका महादेश,
- अफ्रीका महादेश
- एशिया महादेश।
त्रिषुवत रेखा तीन महादेश से होकर गुजरती है-
- दक्षिण अमेरिका महादेश, 2 अफ्रीका महादेश 3 एशिया महादेश । मकर रेखा तीन महादेश से होकर गुजरती है-
- दक्षिण अमेरिका महादेश, 2 अफ्रीका महादेश 3. ऑस्ट्रेलिया महादेश । यूरोप महादेश और अंटार्कटिका महादेश ऐसा महादेश है जिसका संबंध कर्क, विषुवत और मकर रेखा किसी से भी नहीं है। मकर रेखा ऑस्ट्रेलिया को लगभग दो बराबर भाग में बाँटती है।
नदियों का वर्गीकरण
- पूर्ववर्त्ती नदी : वैसी नदी जो हिमालय के निर्माण के पूर्व से बहती है, पूर्ववर्ती नदी कहलाती है। जैसे-सिंधु सतलज, ब्रह्मपुत्र नदी इत्यादि।
- अनुगामी / अनुवर्त्ती नदी : वैसी नदियाँ जो ढाल का अनुसरण करते हुए बहती है, अनुगामी नदी कहलाती है। जैसे- गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादि ।
प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ सामान्यतः पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं क्योंकि प्रायद्वीपीय भारत का पश्चिमी भाग अधिक ऊँचा है जबकि पूर्वी भाग की ऊँचाई कम हैं।
भारत की नदियों को मूल तौर पर दो भागों में बाँटकर पढ़ते हैं-
- हिमालय की नदियाँ, 2. प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ। हिमालय की नदियाँ
हिमालय की नदियाँ, | प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ। हिमालय की नदियाँ |
हिमालय की नदियाँ पूर्ववर्ती नदी का उदाहरण हैं। | प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अनुवर्ती या अनुगामी नदी के उदाहरण हैं। |
यह नदियाँ बारहमासी/सततवाहिनी/सदानीरा होती हैं। क्योंकि इन नदियों को जल की प्राप्ति बर्फ और वर्षां दोनों से होता है। | यह नदी मौसमी होती है क्योंकि इन नदियों को जल की प्राप्ति सिर्फ वर्षा से होती है। |
यह नदी अपनी युवावस्था में है। | यह नदी अपनी प्रौढ़ावस्था में है। |
यह नदी अपरदन (तोड़ना-फोड़ना) करती है। | प्रायद्वीपीय भारत की कुछ नदियाँ डेल्टा का निर्माण करती जी.एस. हैं जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, लेकिन प्रायद्वीपीय भारत की कुछ नदियाँ ऐसी हैं जो डेल्टा का निर्माण नहीं करती हैं जैसे-नर्मदा और ताप्ती । |
हिमालय की नदियाँ डेल्टा का निर्माण करती हैं। |
Note
- हिमालयीय क्षेत्र को तीसरे ध्रुव की संज्ञा दी जाती है।
- विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा सुंदरवन का डल्टा है जिसका निर्माण गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी की धारा करती है।
- नर्मदा और तापी एश्चुअरी का निर्माण करती है।
- प्रायद्वीपीय भारत की नदियों में कावेरी नदी वासी सततवाहिनी सदानीरा होती है।
गंगा नदी क्षेत्र : गंगा भारत की सबसे लंबी और बड़ी नदी है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में इसे सबसे पवित्र नदी बताया गया है। पवि के कारण उत्तर भारत के लोग इस नदी के जल का प्रयोग धार्मिक अनुष्ठान में करता है। इस नदी की लम्बाई 2525 km है ( कुछ स्रोतों में गंगा की लम्बाई 2510 km बतायी गयी है) 2008 ई. में गंगा का भारत का राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है। 2017 ई. में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय (नैनीताल में) ने गंगा के साथ- साथ यमुना को भी जीवित मानव का दर्जा दिया है।
- बद्रीनाथ के संतापथ हिमनद (ग्लेशियर) से अलकनंदा निकलती है।
- केदारनाथ से मंदाकिनी नदी निकलती है।
- गंगोत्री से भागीरथी नदी निकलती है।
धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडार, मंदाकिनी, भागीरथी इत्यादि अलकनंदा की सहायक नदी है।
विष्णुप्रयाग : यहाँ धौलीगंगा नदी अलकनंदा से आकर मिलती है।
नंदप्रयाग : यहाँ मंदाकिनी नदी अलकनंदा में आकर मिलती है।
कर्णप्रयाग : यहाँ पिंडार नदी अलकनंदा से आकर मिलती है।
रूद्रप्रयाग : यहाँ मंदाकिनी नदी अलकनंदा में आकर मिलती है।
देवप्रयाग : यहाँ भागीरथी नदी अलकनंदा से आकर मिलती है।
गंगा का उद्गम उत्तराखण्ड के संतोष हिमानी से अलकनंदा नदी निकलती हैं तथा गोमुख (गंगोत्री हिमानी नदी निकलती है। आगे चलकर यह दोनों नदी उत्तराखण्ड के देवप्रयाग में आपस में मिल जाती है तत्पश्चात ही अलक भागीरथी की संयुक्त धारा का गंगा कहते हैं। गंगा शुरूआती दौर में उत्तराखण्ड के पर्वतीय भाग में बहती है। हरिद्वार के बाद
पर्वतीय भाग में मैदानी भाग में प्रवेश करती है। उत्तराखण्ड के पश्चात् गंगा नदी बिजनौर जिला से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। गंगा नदी उत्तर प्रदेश के 28 जिलों से होकर बहती है। गंगा नदी के तट पर बसा हुआ सबसे बड़ा शहर कानपुर है। गंगा नदी बलिया जिला के बाद बिहार में प्रवेश करती है। बिहार में यह नदी अक्सर से प्रवेश करती है। बिहार के 12 जिला से होकर यह नदी गुजरती है जो निम्न हैं-
1 बक्सर, 2 भोजपुर (आरा), 3. सारण, 4. पटना, 5. पैशाली 6. समस्तीपुर, 7. बेगुसराय 8 लखीसराय, 9. मुंगेर, 10. खगडिया 11 भागलपुर 12. कटिहार।
गंगा बिहार के लगभग बीचोंबीच से होकर गुजरती हैं तथा बिहार को लगभग दो बराबर भाग उत्तरी बिहार और दक्षिणी बिहार में बाँटती है। बिहार की राजधानी पटना गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है जो दक्षिणी बिहार के अंतर्गत आता है। गंगा नदी कटिहार के बाद बिहार से बाहर निकलती है। यह नदी झारखंड के साथ सीमा बनाती हुई पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। पश्चिम बंगाल में गंगा की धारा दो भागों में विभक्त हो जाती है। एक धारा पूर्व की ओर बहती है जिसे भागीरथी कहते हैं तथा दूसरी धारा दक्षिण की ओर बहती है जिसे हुगली कहते हैं। हुगली नदी के तट पर ही कोलकाता स्थित है। ब्रिटिश काल में जॉब चारनाँक न सुतानती, कालीकाटा और गोविन्दपुर नामक तीन गाँव को मिलाकर कोलकाता शहर की स्थापना की। गंगा नदी को दो राज्य उत्तराखण्ड और पश्चिम बंगाल में भागीरथी के नाम से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल के बाद यह नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश में इसे पद्मा कहते हैं। आगे चलकर गंगा नदी बांग्लादेश में मेघना से मिल जाती है और मंचना के नाम से ही अपना जल बंगाल की खाड़ी में गिराती है।
राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 (NW-1): इसका निर्माण कहीं पर 1986 में करवाया गया है। इसकी लंबाई 1620 km है। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक देखने को मिलता है।
गंगा की सहायक नदी: रामगंगा गोमती पापरा, गंडक कोसी, महानंदा इत्यादि नदी गंगा से बागों तट पर मिलती है, तो वही यमुना, सोन दायाँ तट पर मिलती है।
यमुना : यह गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसका उद्गम स्थल उत्तराखंड के यमुनोत्री हिमानी है जबकि इसका संगम या मुहाना गंगा है। यह नदी गंगा में प्रयागराज में मिलती है। गंगा और यमुना के संगम पर ही प्रयागराज नामक शहर बसा हुआ है। प्रयागराज को पहले इलाहाबाद कहा जाता था। इलाहाबाद नामक शहर को मुगल बादशाह अकबर ने स्थापित किया था। यमुना की लंबाई 1326 km है। यमुना को प्रदूषित होने के कारण खुला नाला की भी संज्ञा दी जाती है। यमुना नदी के तट पर दिल्ली, आगरा, मथुरा, औरैया, इटावा इत्यादि शहर स्थित है।
सोन : यह नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है तथा उत्तर-पूर्व की ओर बहती हुई पटना के निकट दानापुर में गंगा में मिल जाती है। सोन नदी गंगा नदी में दक्षिणी भाग से मिलती है।
रामगंगा नदी : यह नदी उत्तराखण्ड के गढ़वाल पहाड़ी से निकलती है तथा आगे चलकर यह नदी उत्तर प्रदेश में कन्नौज के समीप गंगा से मिल जाती है। रामगंगा नदी भारत के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान से गुजरती है। यह राष्ट्रीय उद्यान 1935 ई० में स्थापित हुआ है। इसे हेली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में रामगंगा नेशनल पार्क है।
गोमती नदी : यह नदी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिला के फुल्हर झील से निकलती है तथा आगे चलकर यह लखनऊ से गुजरती हुई गाजीपुर के समीप गंगा से मिल जाती है। लखनऊ गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है।
घाघरा नदी : यह तिब्बत के पठार के मापचा चुंग हिमनद से निकलती है और आगे चलकर यह बिहार के छपरा में गंगा से मिल जाती है।
गंडक नदी : यह नदी नेपाल हिमालय से निकलती है आगे चलकर यह नदी सोनपुर के निकट गंगा से मिल जाती है। गंडक नदी से ही त्रिवेणी नहर निकलता है। अर्थात् त्रिवेणी नहर को जल की प्राप्ति गंडक नदी से ही होती है।
कोसी नदी : नेपाल के गोसाईंस्थान चोटी से यह नदी निकलती है। कोसी नदी की मुख्य धारा को अरुणा के नाम से जाना जाता है। कोसी नदी कटिहार के कुरसेला के समीप गंगा से मिल जाती है। विश्व में सबसे ज्यादा मार्ग परिवर्तन करने वाली नदी कोसी नदी है। कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण ही प्रत्येक वर्ष उत्तरी बिहार बाढ़ के चपेट में आता है। बाढ़ के कारण भारी जानमाल की क्षति होती है। इसलिए कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।
महानंदा नदी : यह नदी पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पहाड़ी से निकलती है और आगे चलकर फरक्का के समीप गंगा में मिल जाती है।
ब्रह्मपुत्र नदी : ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत के मानसरोवर झील के चमरंग दुग हिमनद से निकलती है तथा पूर्व की ओर बहती हुई अरुणाचल प्रदेश के बाद यह असम में बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश में ही यह अपना जल मेघना के नाम से बंगाल की खाड़ी में गिराती है। इस नदी की लंबाई 2900 km है। भारत में इसकी लंबाई 916 km है। इस नदी को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे-तिब्बत में इसे सांपो अरुणाचल प्रदेश में दिहांग या दिवांग, असम में ब्रह्मपुत्र तथा बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है।
राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2 इसका विस्तार असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर संदिया से धुबरी के बीच है। इसकी लंबाई 891 km है। इसका निर्माण 1988 ई. में किया गया है।
सिंधु नदी तंत्र : यह नदी तिब्बत के मानसरोवर झील के सिंगी खमान हिमनद से निकलती है तथा पश्चिम की ओर बहती हुई भारत के एकमात्र केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख से होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है और आगे चलकर यह नदी अपना जल अरब सागर में गिराती है। इसकी लंबाई 2880 km है। सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवन रेखा कहा जाता है। सिंधु की कई सारी सहायक नदियाँ हैं जैसे-झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज इत्यादि है। इन सहायक नदियों में व्यास एक ऐसी सहायक नदी हैं जो सिर्फ भारत में बहती है। व्यास के अलावे सिंधु की अन्य सहायक नदियाँ भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बहती है।
सिंधु नदी जल समझौता सिंधु तथा उसकी सहायक नदियाँ झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज इत्यादि के जल को लेकर 1960 ई. में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की अध्यक्षता में समझौता हुआ यह समझौता कराची में हुआ था। इस समझौता में भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खाँ ने भाग लिया। इस समझौता के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब पर पाकिस्तान का अधिकार बताया गया जबकि रावी, व्यास और सतलज पर भारत का अधिकार बताया गया। इस समझौता में यह भी निर्धारित किया गया कि सिंधु नदी के 20% जल का उपयोग भारत करेगा तो वही 80% जल का उपयोग पाकिस्तान करेगा।
Note : 1. सिंधु नदी लदाख और जॉस्कर पर्वत श्रेणी के बीच से होकर गुजरती है। 2. झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, मतलब इन पाँचों नदियों को पंचनद की संज्ञा दी जाती है।
सिंधु की सहायक नदियाँ
झेलम नदी यह जम्मू-कश्मीर के बेरिनाग के निकट स्थित शेषनाग झील से निकलती है तथा जम्मू-कश्मीर के बुलर झील से होकर बहती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। यह नदी पाकिस्तान में चिनाब से जाकर मिलती है। इन नदी पर पाकिस्तान में मंगलार्डम बाँध का निर्माण किया गया है। इसका प्राचीन नाम वितास्ता है। इस नदी पर ही जम्मू-कश्मीर की राजधानी नगर श्रीनगर स्थित है। श्रीनगर मौर्य शासक अशोक के द्वारा बसाया गया था।
चिनाब नदी : यह हिमाचल प्रदेश के बारालाचा दर्रा से निकलती हैं और चलकर पाकिस्तान में सतलज से मिल जाती है यह सिंधु की सबसे बड़ी महायक नदी है।
रावी नदी यह हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रा से निकलती है तथा आगे चलकर पाकिस्तान में चिनाब नदी से मिल जाती है। सतलज नदी यह नदी तिब्बत के पठार के मानसरोवर झील के राकसताल से निकलती है और पश्चिम की ओर बहती हुई शिपकीला दरों से भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है। हिमाचल प्रदेश के बाद यह पंजाब में बहती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। पाकिस्तान में यह चिनाब से मिल जाती है।
Note : झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज की संयुक्त जलधारा मिठानकोट के समीप पाकिस्तान में सिंधु नदी से मिलती हैं। व्यास नदी यह नदी रोहतांग दर्रा के समीप व्यासकुंड से निकलती है तथा आगे चलकर सतलज से मिल जाती है। यह सिंधु की एक ऐसी सहायक नदी है जो सिर्फ भारत में बहती है।
चिनाव नदी को हिमाचल प्रदेश में चन्द्रा तथा भागा के नाम से जाना जाता है।